अभय का
एक अकेला दिया
जलाया है मैने
इस टूटे दिल मे,
हवा की
भटकती उलझनो से
नही डरता है वो,
नही झुकता है वो,
नही झिझकता है वो,
खडा रह्ता है
उस झरोके के पास,
जिससे लिपटता है वो
एक अकेला दिया
जलाया है मैने
इस टूटे दिल मे,
हवा की
भटकती उलझनो से
नही डरता है वो,
नही झुकता है वो,
नही झिझकता है वो,
खडा रह्ता है
उस झरोके के पास,
जिससे लिपटता है वो
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