Saturday, October 19, 2013

खामोशी और हलचल

खुला हुआ आसमान,
फैला हआ समुन्दर,
छाये हुए बादल,
तड़पती हुई धरती,,
सब मे एक खामोशी है,
सब मे एक हलचल है;
मै देख़ती हू
अपने दिल से तो,
सब मे एक खुशी भ्ररी
सूनापन है,
जो मेरे दिल से कह्ता है
"ज़्ररा ठह्ररो उस सूनापन मे,
उस मे खो जाओ ,
चक  दे उसको एक बार,
और लूट लो उसका मज़ा";
खामोशी मे भी हलचल है,
हलचल मे भी खामोशी है,
जब दिल मे सूनापन छा जाता है,
तो सारे रङ्ग निकलते है -
वो आसमान, वो बादल,
वो समुन्दर, वो धरती,
सब खिलने लगते है,
खामोशी और हलचल
मिलने लगते है





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